राजस्थान और विशेषकर जयपुर में गणगौर का पर्व स्त्रियों के हर्षोल्लास का पर्व है. सोलह दिन की गणगौर पूजा के मध्य शीतलाष्टमी का दिन विशेष है . गणगौर पूजन करने वाली सभी स्त्रियाँ इकठ्ठा होकर ये सभी कार्य बड़े हर्षोल्लास से गीत गाते हुए करती है ...तत्पश्चात छोटे बच्चों (सिर्फ लड़कियों )को ईसर और गणगौर के प्रतीक रूप में दूल्हा -दुल्हन बनाकर उन्हें बगीचे में में ले जाकर खेल- खेल में गुड्डे गुड़ियों जैसी ही शादी रचाई जाती है ...पूजन करने वाली तथा दर्शक महिलाओं में से ही घराती और बाराती बनती है तथा आपस में ठिठोली करती हुई नृत्य गान आदि करती है ...जिसमें छोटी कन्याओं को ईसर गणगौर का प्रतीक मानकर उनका गुड्डे गुड़िया सा विवाह रचाया जाता है.
जयपुर के एक पार्क में इकट्ठे हुए यही नन्हे दुल्हा दुल्हन....